#सर्दी भी कुछ इस तरह इम्तिहान लेती है। किसका कितना बड़ा आँचल है जान लेती है। फ़टी चादरें ओढ़ लेता है #कम्बल की जगह - उसकी हर सूरते हाल गरीबी पहचान लेती है। #कोहरा छाया है मगर वो है आँखों के ऊपर, ज़िन्दगी के बदले में ये ठंडी जी जान लेती है। यूँ मुझे धोखा हुआ होंठों की #कँपकँपी देख, जैसे लपलपाती तीर वो धनुष पे तान लेती है। कोई मौसम आए तो ये मौसम विदा हो जाये, गुनगुनी #धूप "आदित्य"की बात मान लेती है। आदित्य गुप्ता ©Aditya Gupta #coldnights