दुखों की इस बारिश में सुख के बादल बरसाओ ना एक बार इस धरा पर मेरी मीत की प्रीत लगाओ ना दुख भी मीठे सुख भी आए ऐसा कोई उपकार जतावना दुख की बारिश में सुख के बादल बरसाओ ना बरसे भी तो इतना बरसे मन में बाढ़ समा गई है मन मैं छोटे छोटे सपनों की आस भी बह गई है इतना इतना इतना बरसे मन की आस अधूरी रह गई है Gudvin.barche@g