जो क़लम उगलती कागज़ पर, ये सभी दलीलें हैं दिल की.. आवाज़ दबा दें सीने में, और कागज़ पर कह जाने दें! आईना मुझसे कहता हैं, तू हार गया इस बाज़ी को.. जो दिल का दंगल जीत गया, उसका सज़दा कर आने दें! उन्मादों और अवसादों से, हैं पटी पड़ी "डायरी" मेरी.. कुछ हमदर्दी मिल जाने दें, और ग़म हल्का हो जानदें! #मेरी_डायरी #दिल_का_दंगल #सोज़_ए_सुख़न