सिक्के अब चलते नहीं जमाना नोटों का है फिर भी कटोरे में आज सिक्के डालते हैं लोग ! और चन्द सिक्कों के बदले नोटों की दुआ माँगते हैं लोग !! बैठा मंदिर के द्वार पर जिसे लोग समझे हैं भिखारी ! दरअसल वही तो है खोटे सिक्कों का व्यापारी !! लेकर सब बलायें तुम्हारी सिक्कों के रूप में ! बांटता वह अपनी दुआओं की दौलत सारी !! और खुद रहता जिन्दगी भर भिखारी का भिखारी ! क्यों की वह तो ठहरा खोटे सिक्कों का व्यापारी !! खोटा सिक्का Pratyush (🅿S🅿) सिक्के अब चलते नहीं जमाना नोटों का है फिर भी कटोरे में आज सिक्के डालते हैं लोग ! और चन्द सिक्कों के बदले नोटों की दुआ माँगते हैं लोग !! बैठा मंदिर के द्वार पर जिसे लोग समझे हैं भिखारी ! दरअसल वही तो है खोटे सिक्कों का व्यापारी !! लेकर सब बलायें तुम्हारी सिक्कों के रूप में !