आदत सी हो गई है, कुछ सोचते रहने की, कुछ ढूंढते रहने की, पर तलाश किसकी, ये कोई नही जानता, शायद दिवा स्वप्न हो, जिसे मैं नही मानता, दुनिया की रीति-रितवे, उसे मैं नही जानता, होंगे आप समाज के, चाटूकारिता के नायक, हम तो है इसके बागी जिसे 'विद्रोही' के नाम से, ये दुनिया है पुकारता। #poerty #bagi #vidrohi #society #life #inspirational