छुपाए मेरे अरमानों में एक आग सी लग जाती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है धुधंली सी तस्वीर जो बीतें लम्हें साथ तेरे सब आँखों के सामनें एक -एक ले आती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है ना कभी तुम आतें हो एक प्यास सी जगा जाते हो जानें किस उधेड़ बुन में ध्यान तुम्हारा रहता है बाहों में तुझें भरनें को मेरी रुह तड़पती रहती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है। रात सरकती जाती है