मैंने आंखों से सींचे पौधे गुलाब खिलाऐ प्रेम के, और उगाया हथेलियों पर बागीचा प्रतीक्षा का। तुमने दिखाई धूप उदासीनता की, पहले गुलाब मुरझाये फिर पौधे भी झुलस गये आंखें अब सींचती है जलती हथेलियां, और उंगलियाँ उगाती है बागीचा कविताओं का। By Riya 'Prahelika' 3/10/19 #प्रेम #microtale #riyaguptablog #nojoto #hindi #riyaprahelika #riyagupta #prem #kavita #iitkavyanjali