वाह सिंघासन के रखवालों वक़्त तुम्हे भी याद रखेगा, कलम झुका गर्दन बचाई ये दौर बड़ा बर्बाद रहेगा। जब जब चाटूकारों के दम पर शाषन की नींव पड़ी है, परिणाम भवन का हुआ क्या ये बात जमाना याद रखेगा। जब उठती हुई आवाज एक दम गूंगी हो जाने लगे तो बहरे अंधे धृतराष्ट्रों का हिसाब पुराना आबाद रहेगा। जब धूप में जलकर पैदा अन्न करने वालों के तन पे कपड़ा कफ़न होगा, उस मय्यत की मिट्टी के संग जब दीन ईमान दफन होगा तब तब ये भाव अपना उफान भरेगा। के जागो अब तो सोने वालों दिव्य स्वप्न के आबाद गुलिस्तां में हर बूटा बूटा बर्बाद रहेगा। राजनैतिक कविता के कुछ अंश।।।।।कुछ विचार #nojotohindi#पॉलिटिकल#सामाजिक#विरोध#गतिरोध#प्रतिरोध