ना थाम सका रजत तुमको ज़र्फ़ बनकर, चिंगारी भी दी हैं तो अक्सर बर्फ बनकर। जितना अधूरा था सब मुक्कमल होने को, तेरी रोशनाई से गिरता हूँ अब हर्फ़ बनकर.... ज़र्फ़ : पात्र/vessel रोशनाई : स्याही/ink हर्फ़: अक्षर/letters #bikharna #अस्तित्व #कलम_से.... मेरी कलम और मेरी इक बातचीत...... पर कभी कभी शायद कलम नहीं संभाल पाता,