प्रिय, मेरे प्रेम के प्रत्युत्तर में तुम भी प्रेम ही प्रदान करो यह आवश्यक तो नहीं किंतु आवश्यक है तुम्हारे मेरे प्रेम में ना होने के बावजूद भी मेरा तुमसे प्रेम करना। उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ सदैव कार्य नहीं करती। प्रिय, रसायनों का बदलाव संपूर्ण अभिक्रिया ही बदल देता है। #lettersforप्रिय #अनाम_ख़्याल 😐 #अनाम_प्रेम #रासायनिक_अभिक्रिया