त'अज्जुब होता है कभी मुझे इस वक्त पे भी ये न जाने कितने राज़ अपने अंदर छिपाए है वैसे तू बे कस नहीं इस ज़माने में, यहां है कई ऐसे भी जो छिपाने के लिए खुद तुझे अपना आश्ना बना लेते है ©Viraaj Sisodiya #वक्त #राज़ #आश्ना = दोस्त, मित्र #Viraaj