छत्तीसगढ़ी रैप गीत बचपन के सुरता बचपन के सुरता आज भी अब्बड़ मोला आथे, गुनत गुनत एके झन हंसी अब्बड़ आ जाथे ।। 2 ।। वो भौंरा अउ बांटी, गिल्ली डंडा के खेलना, अटकन मटकन संग म वो कोसुम पार के गाना, वो गांव के टुरी टुरा संग दिनभर के खेलना, परी पत्थर अउ टुरी मन संग बिल्ला के खेलना, तिरी पासा गोटा कौड़ी खेल म ठगना, छोटे छोटे बात म संगी मन से झगड़ना, वो सायकिल के टायर संग दौड़ लगाना ।।।। वो गर्मी के दिन तरिया नदिया जाना, आमा, अमली, कुसुम, काजू, चार, चिरई जाम, तेंदू, गंगा अमली, झींद, जाम के सब्बो रेहेन दीवाना, संगे म खेलना संगे म लड़ना, खेले के बेरा म फेर ले संघरना, पांच पईसा के पीपर मेन्ट म मन के सुख पाना, वो मासूम चेहरा अउ मस्ती के टोली, कांधा म झोरा धर के पुन्नी नाचे ल जाना, बारिश के मौसम म कागज़ के नाव चलाना, रुख राई म झूलना बांध मन भर के झूलना, वो मिठ मिठ बोली म तोतरा के गोठियाना, बचपन के सुरता आज भी अब्बड़ मोला आथे, गुनत गुनत एके झन हंसी अब्बड़ आ जाथे ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #छत्तीसगढ़ी_रैप_गीत #बचपन के सुरता आज भी #अब्बड़ मोला आथे, #गुनत गुनत एके झन हंसी अब्बड़ आ जाथे ।। #jainesh_kumar #chhattisgarhi #poetry