कभी काना को काना कह कर सिर फोड़वाते देखा था अब भ्रष्टों को भ्रष्ट ही कह लो उफ भी नहीं निकलता है बेशक दुनिया बदल गयी है हम भी मान चुके अब तो कीमत की पूजा होती है सीरत कौन समझता है ©संजीव #काना #सिर #भ्रष्ट #दुनिया #कीमत #सीरत #Diwali