ये ग़ैर है कोई या मेरा अपना रिश्तेदार है जिसका तीर लगा जिगर के पार है ग़म किसी से कहने की ज़ुर्रत मत करना ज़रा सी चिट्ठी भी यहाँ पर अख़बार है चीर देते तल्ख़ लहज़े सबके हर बार हैं अपना समझने की भूल करना बेकार है कई कई मुखौटे बदलते हैं दिन भर में लोग सच बोलने वाला ही यहाँ गुनहगार है ©shaifali thewriter धोखा है सब #Light #relaives #हटपीछे #घण्टा