संकोच है किस बात का यदि आगमन है रात का बेखौफ होकर बोल तू निज कर्म से ना डोल तू फल ये मिले या वो मिले आभा खिले या ना खिले दीपक बना ले देह को बाती बना कर नेह को संकल्प का तू तेल भर सर्वत्र कर ज्योति प्रखर सर्वत्र कर ज्योति प्रखर! संकोच है किस बात का... #nitinkrharit #संकोच #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi