माना कि वो खोटा सिक्का था.. रत्ती भर थी क़ीमत जिसकी समझा जिसे पीतल खरा सोना निकला माना कि वो खोटा सिक्का था.. बार बार गिरा गिरकर उठा उठकर संभला माना कि वो खोटा सिक्का था.. था तब भी माँ को विश्वास जिसे पिता ने धिक्कारा है आज उसी पर नाज़ माना कि वो खोटा सिक्का था.. अब वो बड़ा हो गया वक़्त की आँच में तपकर खरा हो गया ऐसा खोटा सिक्का आज खरा हो गया...! बुज़ुर्गों का कहना है कि खोटा सिक्का भी चल जाया करता है। इसीलिए अपने आपको कभी बेकार नहीं समझना चाहिए और न ही किसी और को। इसी ख़्याल पर एक रचना करें। Collab करें YQ DIDI के साथ। #खोटासिक्का #collab #yqdidi