हैलो ... उत्तम नगर पूलिस स्टेशन ? हाँ जी, बताईये क्या दिक्कत है ! उधर से एक भारी आवाज में जवाब आया! सर, B 83 जीवन पार्क से मैं समीर बोल रहा हूँ और दिक्कत ये है कि मैने किसी का खून कर दिया है ! आप आकर मुझे गिरफ़्तार कर ले ! अरे बाव्ला होरया सै के ? खुद ही खूनी और खुद न ही पकडान चाल्या है , पी राखी सै के ? किसका खून कर दिया ? - पुलिस वाला थोड़े गुस्से में लगा ! मैने डरते डरते अपनी बात पूरी करना चाहा -सर, वो दरअसल...मैंने बहुत सारी अपनी ख्वाहिशों का गला घोटकर उनको मार डाला है, मैंने खुद को मार डाला है ! आप जल्दी से पकड़कर मुझे जेल में डाल दिजीये ! पुलिस वाले को इस बार जोरदार गुस्से में चिल्लाते सुना- अर ओ बेवड़े, जल्दी करगे इब फोन पागलखाने म लगा, यो तन पुलिस स्टेसन मिला राख्या सै ...पर सर, आज से सही एक महिने पहले मैने दो लोगों की मासूमियत का कत्ल करके उन दोनो खुबसूरत रिश्तो की लाश मैने उतम नगर में आर्य समाज रोड के पास ठिकाने लगा दी थी ! - उधर से फ़ोन रखे जाने की, या यूँ समझो फोन को पटकने आवाज ने मेरी बात को पूरी करने का मौका ही नही दिया ! अगर पुलिस वाला सुनता तो मैं उसको इंश्योरेंस कम्पनी की शिकायत भी लिखवाता जिन्होने मुझे मर चुके दो रिश्तों का क्लेम ये कहकर देने से मना कर दिया था कि मरने वाले रिश्ते आपके कभी सगे थे ही नहीं खैर, अब हैरान और परेशान हो करबैठा सोच रहा हूँ कि आखिर मैने ये कैसा मर्डर किया है जो पुलिस पागल बता कर गिरफ़्तार करने को तैयार नही है और इंश्योरेंस वाले मुझे मरा हुआ ना मानकर मुआवजा देने को तैयार नही है. इंश्योरेंस कम्पनी वाले दलील भी अजीब अजीब दे रहे है कि "जब तक सांसे चल रही है हम आपको मरा हुआ नही मान सकते !" पर हकिकत तो मैं जानता हूँ कि मै सिरियल किलर हूँ और मैं मर चुका हूँ ! अभी मैं खुद को जिन्दा साबित करु या मुर्दा ? मरने के लिये सांसे रुक जाना जरुरी है क्या ? लगता है पुलिस वाला सही ही कह रहा था ! मुझे पागलखाने ही फोन मिलाना होगा, शायद वो लोग ही मेरी कुछ मदद कर दे ! हैलो - इज दिस मेन्टल हॉस्पीटल ? येस सर ... हाउ मे आई हैल्प यू ? - उधर से महिला ने फोन पर जवाब दिया ! मैम, आई नीड योर हैल्प... मैम, B 83 जीवन पार्क से मैं समीर बोल रहा हूँ और प्रोब्लम ये है कि... ©Saim रिश्तों का खून #तलाक#seprated from wife & Daughter 😭 #JusticeForNikitaTomar