तुम खत मेरा पढ़ोगी तो रोओगी मैंने लिखे हैं भेजे नहीं जब मैं ये शहर छोड़कर जाऊगा ये खत बिस्तर के पास पड़े दराज़ में तुम्हें ये सिमटे हुए मिलेंगे इन्हें जलाना मत ये ख़याल हैं तुम्हारे जो तेरी नमौजूदगी में मैंने तुम्हें लिखा। ये जो तकिये के नीचे तस्वीर है इसे समेत कर घर लेते जाना ये तुम्हारी ही हैं... तुम्हे इज़हार से पहले मैंने इन्हें खींचकर... फ्रेम करना था... ये जोकि तकिया ही बना रहा ये खत जो तुम्हे लिखे थे आज छोड़कर जा रहा हूँ हो सके तो समेत कर रख लेना तुम मेरा ख़त पढ़ोगी तो रोओगी ख़ैर इन्हें जला ही देना। #कुमार किशन #ख़त#दराज़