पात्रता को विकसित करने के लिए कर्म जरूरी है एक कर्म वह हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता दूसरा कर्म वह दिन अटाला तो नहीं जा सकता परंतु कम किया जा सकता है और तीसरा कर्म वह हैं जिन्हें टाला जा सकता है हमें इस कर्म पथ का अनुसरण करना है कर्म की प्रधानता से हम पात्रता अर्जित करने में सफल होते हैं और यही पात्रता हमारी नियत का निर्मित बनती है यदि सफलता की कामना है तो पहले पात्रता अर्जित करनी होगी और उसके लिए कर्म को ही मूल मंत्र बनाना होगा इससे निराशा को दूर रखना होगा महा ऋषि वाल्मीकि ने कहा है कि हताशा ना होना सफलता का मूल है और यही परमसुख ©Ek villain #brokenlove #पात्रता को विकसित करने के लिए कर्म जरूरी है