|| माँ || वो दूर गया है परसों से माँ सोई नहीं है बरसों से माँ की आँखों से ही तो घर-घर में उजाला है। ए वक्त,ए हवा,ए फिज़ा जरा संभल मुझे कम न समझ हर वक्त मेरे साथ मेरी माँ का साया है। मुझे खौफ नहींअब किसी बदी का मेरे माथे पर माँ ने काला टीका जो लगाया है।