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ये मंजर अकेला ये समंदर अकेला अकेला है ये आकाश स

ये मंजर अकेला 
ये समंदर अकेला 
अकेला है ये आकाश 
सूखा दूर वो बंजर भी अकेला 
अकेले होकर भी ये क्यूँ पूरे लगते है। 
और पूरे होकर भी ये लोग 
क्यूँ मुझे इतने मजबूर लगते है।
क्या पता ये मेरा नजरिया है या फ़ितरत 
लगे मुझे लाखों कि भीड़ में भी हर इंसान अकेला।

©Shivani Singh Karothiya #Incompletefeelings
ये मंजर अकेला 
ये समंदर अकेला 
अकेला है ये आकाश 
सूखा दूर वो बंजर भी अकेला 
अकेले होकर भी ये क्यूँ पूरे लगते है। 
और पूरे होकर भी ये लोग 
क्यूँ मुझे इतने मजबूर लगते है।
क्या पता ये मेरा नजरिया है या फ़ितरत 
लगे मुझे लाखों कि भीड़ में भी हर इंसान अकेला।

©Shivani Singh Karothiya #Incompletefeelings