#राष्ट्र #हित में न #देशभक्त #हिन्दू हुए सभी, न #गद्दार #मुस्लिम हैं सभी।। कर लो यकीं #आलोक तुम, #इंसानियत जिंदा है अभी।। न ही #गीता के उपदेश हैं #बुरे, और न ही #आयतें #कुरान की। ये मानता और जानता हूँ इसलिए, #भाईचारे की रीति निभाता हूँ मैं। किंतु इस समय जो एहसास हो रहा, सम्पूर्ण विश्व #एकजुट हो रहा खड़ा। #कोरोना महामारी से भयभीत हैं सभी, हर ओर #क्रंदन ही सुनाई देता अभी।। #मानवता बचे यही चाहते सभी, हर संभव प्रयास कर रहें हैं सभी। इक प्रश्न मस्तिष्क में पनप रहा अभी, ये #जमाती क्या चाहते हैं अभी? कुरान की #आयतें इन्होनें पढ़ी नही, या मानवों से करते हैं #प्रेम नही।। ये कैसे इस्लाम धर्म के #अनुयायी हुए? और अल्लाह के प्यारे #बंदे हुए।। इन जमातियों का ये #अभद्र व्यवहार, सम्पूर्ण विश्व को #तकलीफ़ दे रहा।। कैसे कहूँ ये #द्रोही इस्लाम मानते हैं? कुरान को #पवित्र मान पूजते हैं।। वर्तमान में #चाणक्य का अनुसरण हो #जमातियों पर कड़ा से कड़ा प्रतिबंध हो। #देशद्रोहियों के जैसा इनसे बर्ताव हो, #चाणक्य नीति का इन पर प्रयोग हो।। ©आलोक अग्रहरि #कोरोना2020