तुमसे ही आस है, तुमसे ही मेरे विश्वास की डोर बँधी है। हे राघव, हे रघुनन्दन, तुमसे ही प्रीत की लगन लगी है।। मैं अज्ञानी हूँ जोगन तेरी, मुझे जीवन का मार्ग दिखा लो ना जानूँ मैं पूजा पाठ, मुझको भक्ति का रस सिखा दो।। भजन तुम्हारी नित्य करूँ, बन कर मीरा चहुँ ओर फिरु। गाऊँ बस मैं राम कथा, मैं तो राम कहानी सुनाती चलूँ।। भय, मोह, माया, लोभ, मोह से, मुझको तू पार लगा दो। बँधे ना दुनियाँ के जंजाल से, खुद में ही अनुराग लगा दो भूल जाए संसार की रीति, बस तुझ संग ही प्रीति लगा दे नही सीखनी मुझे दुनिया दारी, तू अपनी नीति सिखा दे। तेरी कृपा की छाँव में, अब तो रघुनन्दन मुझको रहना है। छल कपट के इस मायाजाल से, तुझको करुणा करना है मेरा अनुनय विनय स्वीकार करो, करती रहूँ तेरा वंदन मैं तेरे जैसा दूजा ना कोई, हर क्षण हर पल, तुझे पुकारूँ मैं #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_4 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #neha_ram