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न मेरा धर्म कोई न मेरी जाति ही, न काटो न बाँटो

न मेरा धर्म कोई न मेरी जाति ही,
   न काटो न  बाँटो मुझे इस नश्तर से,
                                  मैं मानव हूँ ।
   मुझे दर्द होता है,जिससे लहू बहता है,
   एक दिल है पास मेरे,जो बुना है प्रेम के धागों से 
   न तोड़ो न उधेड़ो,इन डोरों को 
   इन से मेरी साँसों का बंधन बंधा है।
                                      मैं मानव हूँ ।
    न बालक,न युवा, न जरा, न नर, न नारी 
    न श्रमिक, न नेता, न निर्धन, न धनी 
    न तोलो मुझे इन भेदों से,
    इससे मेरी मानवता का मान घटता है ।
                                         मैं मानव हूँ ।
   चाहता प्रेम मैं, बाँटता प्रेम मैं 
  निवास मेरा मन है,आय मेरी कर्म है
  मानवता मेरा धर्म है,संतोष मेरा धन है ।
                            पूँछे कोई कौन हूँ मैं ?
                           बस मेरी पहचान यही,
    मैं मानव हूँ ।  मैं मानव हूँ ।  मैं मानव हूँ ।
           पारुल शर्मा  #gif न मेरा धर्म कोई न मेरी जाति ही,
न काटो न बाँटो मुझे इस नश्तर से,
मैं मानव हूँ ।
मुझे दर्द होता है,जिससे लहू बहता है,
एक दिल है पास मेरे,जो बुना है प्रेम के धागों से 
न तोड़ो न उधेड़ो,इन डोरों को 
इन से मेरी साँसों का बंधन बंधा है।
मैं मानव हूँ ।
न मेरा धर्म कोई न मेरी जाति ही,
   न काटो न  बाँटो मुझे इस नश्तर से,
                                  मैं मानव हूँ ।
   मुझे दर्द होता है,जिससे लहू बहता है,
   एक दिल है पास मेरे,जो बुना है प्रेम के धागों से 
   न तोड़ो न उधेड़ो,इन डोरों को 
   इन से मेरी साँसों का बंधन बंधा है।
                                      मैं मानव हूँ ।
    न बालक,न युवा, न जरा, न नर, न नारी 
    न श्रमिक, न नेता, न निर्धन, न धनी 
    न तोलो मुझे इन भेदों से,
    इससे मेरी मानवता का मान घटता है ।
                                         मैं मानव हूँ ।
   चाहता प्रेम मैं, बाँटता प्रेम मैं 
  निवास मेरा मन है,आय मेरी कर्म है
  मानवता मेरा धर्म है,संतोष मेरा धन है ।
                            पूँछे कोई कौन हूँ मैं ?
                           बस मेरी पहचान यही,
    मैं मानव हूँ ।  मैं मानव हूँ ।  मैं मानव हूँ ।
           पारुल शर्मा  #gif न मेरा धर्म कोई न मेरी जाति ही,
न काटो न बाँटो मुझे इस नश्तर से,
मैं मानव हूँ ।
मुझे दर्द होता है,जिससे लहू बहता है,
एक दिल है पास मेरे,जो बुना है प्रेम के धागों से 
न तोड़ो न उधेड़ो,इन डोरों को 
इन से मेरी साँसों का बंधन बंधा है।
मैं मानव हूँ ।
parulsharma3727

Parul Sharma

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