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कुछ दिनों से ये लफ्ज़ बहके बहके से हैं मिज़ाज़ कलम का

कुछ दिनों से ये लफ्ज़ बहके बहके से हैं
मिज़ाज़ कलम का भी लड़खड़ाया लड़खड़ाया सा है
शायद ये रुबाई की कश्त का नशा सा है
लकींरें इन हाथों की कुछ लिखना चाह रही हैं
इनको सहारा भी कुछ कम सा है
अबतो आदत सी हो गई है ग़म में मुस्कुराने की 
आँखों में आसूं भी कुछ कम सा है
गुलदस्ते सी सजी थी मेरी भी ज़िन्दगी 
कुछ रोज़ से इसमें एक गुलाब कुछ कम सा है। #gif #nojoto #nojotohindi #nojotopoetry #nojotosad #nojotorubai #nojotolove
कुछ दिनों से ये लफ्ज़ बहके बहके से हैं
मिज़ाज़ कलम का भी लड़खड़ाया लड़खड़ाया सा है
शायद ये रुबाई की कश्त का नशा सा है
लकींरें इन हाथों की कुछ लिखना चाह रही हैं
इनको सहारा भी कुछ कम सा है
अबतो आदत सी हो गई है ग़म में मुस्कुराने की 
आँखों में आसूं भी कुछ कम सा है
गुलदस्ते सी सजी थी मेरी भी ज़िन्दगी 
कुछ रोज़ से इसमें एक गुलाब कुछ कम सा है। #gif #nojoto #nojotohindi #nojotopoetry #nojotosad #nojotorubai #nojotolove