कुछ दिनों से ये लफ्ज़ बहके बहके से हैं मिज़ाज़ कलम का भी लड़खड़ाया लड़खड़ाया सा है शायद ये रुबाई की कश्त का नशा सा है लकींरें इन हाथों की कुछ लिखना चाह रही हैं इनको सहारा भी कुछ कम सा है अबतो आदत सी हो गई है ग़म में मुस्कुराने की आँखों में आसूं भी कुछ कम सा है गुलदस्ते सी सजी थी मेरी भी ज़िन्दगी कुछ रोज़ से इसमें एक गुलाब कुछ कम सा है। #gif #nojoto #nojotohindi #nojotopoetry #nojotosad #nojotorubai #nojotolove