" हर रोज़ करते हो कत्लयाम मेरा , तुम्हें लगता है अब भी जिन्दा हूं , करते हो ये हसर मुझ पे बिना बात का , तुम्हें लगता है मैं अब भी तुम्हारा नहीं हूं ." --- रबिन्द्र राम " हर रोज़ करते हो कत्लयाम मेरा , तुम्हें लगता है अब भी जिन्दा हूं , करते हो ये हसर मुझ पे बिना बात का , तुम्हें लगता है मैं अब भी तुम्हारा नहीं हूं ." --- रबिन्द्र राम #रोज़ #कत्लयाम #जिन्दा #हसर