अभी न आप जाइये,थकान को मिटाइये। नवीन भोज खाइए यहीं निशा बिताइए। सुदूर मंजिलें अभी, न ओर है न छोर है। वहाँ अनेक मुश्किलें,मचा अधीर शोर है। #पञ्चचामर_छंद #विश्वासी