मैंने तुम्हें दिल से चाहा ये मेरी चाहत थी, जब देखी तेरी मजबूरी हुई बड़ी आहत थी, मुहब्बत थी मुझसे ज़माने भर को छोड़कर, यह जान कर ही दिल में बस एक राहत थी, मेरी नफ़स भी तेरे नाम से ही धड़कती है, आज भी तेरे एहसास से मुझमे हरारत थी, न रोको मुझे तेरे ख्यालात में आने से सनम, याद आती जो तेरी बातों में मीठी शरारत थी, हर हर्फ़ में तेरा ही तेरा ज़िक्र अब मेरा होता, दिल के कैनवस पर खूबसूरत तेरी शबाहत थी। शबाहत:/सूरत ♥️ Challenge-583 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।