और वो बातें - लंबी चाले! अभी भी बची हुई है, फकत मैं उस रूह से अब काफी जुदा हो चुकी हूं। के एहसास मेरे अंदर ही इतना खारा चीखते है, और उल्टा मैं; अब एक शांत गलियारों में मशरूफ हूं। फिर परवाह भी किसे है? जिसे है उसे कुछ खबर ही कहां! जो इस खबर को बेतरहा जानें है, खैर! उसे लेना क्या देना मुझसे अब है? कभी तो रूह भी बुझी सी मालूम पड़ती है, हाथ पाव भूल ही जाते है, के वो भी हिल-डुल सकते है। अभी इस अचेतना से न जाने और कितना आखिर गुजरना होगा? वाकई पता नहीं! ~smritalks🌼 _Smritalks ©smriti ki kalam se #FREEDOMART