लोग सर्दियों मे अँगीठी जलाये बैठे है और भरी उम्र में हम दिल जलाये बैठे है ये जनवरी की सर्दी खा ही जाती हमको पर बर्फ पर हम घर बनाये बैठे है मंजिलों की तलाश में हमने तय किये इतने सफ़र की रहनुमाओ को भी रास्ते बताये बैठे है फ़कत एक तुम्हीं को मान बैठे दुनिया वगरना कितने दहर इस दिल में बनाये बैठे है तस्कीन की अना इतनी मर चुकी है की चोर भी खुद को ईमानदार बताये बैठे है अब छोड़ भी दो चरागों में नक़्श बनाना ' मिज़ाज ' रंग अपनी आबरू बचाये बैठे है ~ मिज़ाज इलाहाबादी ✍️ ©Mizaj Allahabadi #smog #MizajAllahabadi #Gazal #Winter