सुनो.. मेरे किसी भी पात्र,रचना ,कविता को तुम सजीव मानकर अपनी जेबरुपी मन में सहेज कर मेरे लिए कोई छवि बना मत बैठना... हो सकता है , कल शायद, मैं तुम्हें न मिल पाऊं , उस क्षेत्र में , जो तुमने मेरे लिए बना लिया है. जाने का समय कब आ जाये, नहीं मालूम किसी को... #सुनो #मनकीबात #यूंही_कभी #तूलिका