तारे टूट कर लौट जाते हैं आकाश में फूल टूट कर लौट जाते हैं धरती में नदी लौट जाती है सागर में धूप लौट जाती है सूरज में तुमसे दूर जाने की कोशिश मुझे लाकर खड़ा कर देती है ठीक तुम्हारे सामने