यूं तो बोल लेने देते है उसे, दिल की बात सारी मगर। उसकी जुबां को अपने ओंठो से बंद करते है! जब मिलते है हम कभी, किसी रोज अकेले में। हाथ थाम बैठ जाते हैं और बातें बस चंद करते है। वो जो आ जाए सामने, मुझे दिखता नहीं कुछ और। वो तो नज़रों से ही हमें, क्या खूब नजरबंद करते हैं। खुला छोड़ देते है उसे, नहीं कभी पाबंद करते हैं। उसकी हर पसंद को पसंद करते हैं, वो जिसे हम पसंद करते है।।। पाबंद - कैद प्यार