सहर की मीठी बातें सुन और रौशनी थाम ले ये रात कभी तो ढलनी है तू सुबह से पैग़ाम ले सायों की चाहे उम्र हो लंबी धूप कभी तो खिलानी है हो पर्वत चाहे जितने ऊँचे नदिया सागर से मिलनी है और यकीं को पुख़्ता कर और संयम से काम ले ये रात कभी तो ढलनी है तू सुबह से पैग़ाम ले सावन भादो पतझड़ जाड़े मौसम आने जाने हैं धूप छावं के रिश्ते तूने बारहों मास निभने हैं ना बैर किसी से रख सीने में, ना ख़ुद से तू लाम ले ये रात कभी तो ढलनी है तू सुबह से पैगाम ले जीत हार सब फ़ानी है, बहती दरया का पानी है है ठहरा जो ध्रुव का तारा वो भी आप रवानी है बहता जा तू धार में अपनी और लहरों से काम ले ये रात कभी तो ढलनी है तू सुबह से पैगाम ले क्या देगा तुझको कुछ कोई,हर हाथ यहाँ पर खाली है महल में बैठा जो है राजा वो भी कहीं सवाली है कभी तो आगे बढ़ कर तू ख़ुद से कोई इनाम ले ये रात कभी तो ढलनी है तू सुबह से पैग़ाम ले ~ तू सुबह से पैग़ाम ले @ उदासियाँ ©Mo k sh K an ~ सहर की मीठी बातें सुन #Zen #Hope #Prayers #selfconfidence #Truth #moskhkan #उदासियाँ_the_journey