कया कहे तुम्हे की तुम क्या हो क्या कहे तुम्हे की तुम क्या हो तेरी इन नसिली आंखो को देखकर होस ही उड़ गए हमारे मानो जैसे पानी चमकता हुआ मोती खींच चले आ रहे थे तुम्हारी और कुछ पता ही नहीं चला रास्ता भूल गए हे चलना लहराती ये तेरी जुल्फों को देखकर आंखे सो गई हमारी जैसे जमीन पे लहराती है हरियाली सपनो में कभी धुंधला सा देखा था चहेरा की, आज सामने अा गयी हे हमारे कायल हो गए तुम्हारी खूबसूरती देखकर की क्या बड़ी फुरसत से बनाया है तुझे दिल के अल्फाज़ संभले नहीं संभालते तारीख करते हुवे तेरी किस्मत वाला होगा जिसे मिलेगी तेरी चाहत किसी के लिए प्यार से निकले दिल के अल्फाज़