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चंद उम्र की जिदगी हवा सी बेलगाम गुजरी किसी मोर पर

चंद उम्र की जिदगी हवा सी बेलगाम गुजरी 
किसी मोर पर जश्न कहीं ये इंतकाम गुजरी

जिदगी को जीने की फुर्सत ही यहाँ कब मिली
कैसे जीना है सीखने में उम्र ये तमाम गुजरी 

चार दिन की जिदगी में दो रात अपनी रही
एक तुम्हारी याद में तो एक तुम्हारे नाम गुजरी 

एक कतरा जिंदगी में क्या पर्दा क्या झरोखा 
होगें तुम्हारे राजदार अपनी तो सरेआम गुजरी 

जिस्मानी घर में रूह की कितनी ही तफ़तीश की
रहकर गयी वो उम्रभर जाते हुए गुमनाम गुजरी।।

©Deepak Kumar
  #Zindagi #yaadain #khamoshi #intzaar #dard #judaai #midnight #alone #tanhaii 

#MereKhayaal
चंद उम्र की जिदगी हवा सी बेलगाम गुजरी 
किसी मोर पर जश्न कहीं ये इंतकाम गुजरी

जिदगी को जीने की फुर्सत ही यहाँ कब मिली
कैसे जीना है सीखने में उम्र ये तमाम गुजरी 

चार दिन की जिदगी में दो रात अपनी रही
एक तुम्हारी याद में तो एक तुम्हारे नाम गुजरी 

एक कतरा जिंदगी में क्या पर्दा क्या झरोखा 
होगें तुम्हारे राजदार अपनी तो सरेआम गुजरी 

जिस्मानी घर में रूह की कितनी ही तफ़तीश की
रहकर गयी वो उम्रभर जाते हुए गुमनाम गुजरी।।

©Deepak Kumar
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deepakkumar2949

Deepak Kumar

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