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ख़ामोशी ज़िन्दगी के कुछ फ़लसफ़े हमे भी सिखाये कोई ,

ख़ामोशी  

ज़िन्दगी के कुछ फ़लसफ़े हमे भी सिखाये कोई ,
       जिंदा होकर भी मरने का हुनर हमे भी सिखाये कोई ।

       संदूक भर चुकी है खुशियां समेटते-समेटते ,
       सब बेच दूँगा अगर अच्छा खरीददार आये कोई ।

       बता भी दूँगा कुछ राज़ अपने सरगोशियों के ,
       पहले इजाज़त तो उनसे मांग लाये कोई ।

       बहुत कुछ है दिल मे जिसे मैं फूँक देना चाहता हूँ ,
       बस इल्तज़ा है कि ढंग की आग लगाए कोई ।

       यूँ ही नही उम्र बीती है इस दलदल में ,
       जाओ पहले एक दरिया पार कर आओ कोई ।

       

       तजुर्बा है तभी तो बेबस कहा है खुद को ,
       ग़र झूठा हूँ तो पहले खुद के गिरेबां में झाँके कोई ।

      "दानिस्ता सच न बोलना आदत है मेरी ,"
       पहले तो ये सच बोल के दिखाए कोई ।

       जो भी हूँ -जैसा भी हूँ तेरे सामने हूँ ,
       अब  इस सच को झूठ बनाये कोई ।

       मोहब्बत के हर रंग को देख चुका हूँ ,
       उम्मीद है अब ये ज़हर भी आजमाए कोई । ख़ामोशी ।
ख़ामोशी  

ज़िन्दगी के कुछ फ़लसफ़े हमे भी सिखाये कोई ,
       जिंदा होकर भी मरने का हुनर हमे भी सिखाये कोई ।

       संदूक भर चुकी है खुशियां समेटते-समेटते ,
       सब बेच दूँगा अगर अच्छा खरीददार आये कोई ।

       बता भी दूँगा कुछ राज़ अपने सरगोशियों के ,
       पहले इजाज़त तो उनसे मांग लाये कोई ।

       बहुत कुछ है दिल मे जिसे मैं फूँक देना चाहता हूँ ,
       बस इल्तज़ा है कि ढंग की आग लगाए कोई ।

       यूँ ही नही उम्र बीती है इस दलदल में ,
       जाओ पहले एक दरिया पार कर आओ कोई ।

       

       तजुर्बा है तभी तो बेबस कहा है खुद को ,
       ग़र झूठा हूँ तो पहले खुद के गिरेबां में झाँके कोई ।

      "दानिस्ता सच न बोलना आदत है मेरी ,"
       पहले तो ये सच बोल के दिखाए कोई ।

       जो भी हूँ -जैसा भी हूँ तेरे सामने हूँ ,
       अब  इस सच को झूठ बनाये कोई ।

       मोहब्बत के हर रंग को देख चुका हूँ ,
       उम्मीद है अब ये ज़हर भी आजमाए कोई । ख़ामोशी ।
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