मिलता नहीं किनारा भटकूंँ मैं बेसहारा कोई नहीं है अपना यहांँ ज़िन्दगी का कैसे हो गुज़ारा चारों तरफ़ दर्द और दुःख का है यहांँ घेरा कोई तो साथ अपने और दे प्यार का पहरा कैसे कटे ये कांँटों भरी ज़िन्दगी अपनी हे! ईश्वर कोई कर दो हमें इशारा मिलता नहीं किनारा, भटकूँ मैं बेसहारा... #मिलतानहींकिनारा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi