ठहरा नहीं मुझमें वो बहता है दरिया की तरह रग रग में बसी है हँसी उसकी -2 आंखों में छिपा है समुंदर की तरह । -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) ठहरा नहीं मुझमें वो... ठहरा नहीं मुझमें वो बहता है दरिया की तरह रग रग में बसी है हँसी उसकी -2 आंखों में छिपा है समुंदर की तरह । -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक)