Story of Sanjay Sinha
आज मेरे छोटे भाई का जन्मदिन है। मेरा वही भाई जो चार साल पहले मुझे छोड़ कर चला गया, उसका आज जन्मदिन है। मैं चाहूं तो उसके जन्म के एक-एक पल याद कर सकता हूं। मुझे सब कुछ याद है कि कैसे उसके जन्म पर बुआ हंसुआ से थाली बजा रही थीं। कैसे पूरे घर में सब खुशी में डूबे हुए थे। कैसे मैं तालाब के किनारे से दौड़ता हुआ घर को भागा था। मुझे याद है, मेरी चप्पल कहीं छूट गई थी। पर मुझे पता था कि मेरे घर छोटा सा बाबू आया है मेरे लिए।
मैंने अपने खिलौने का खूब ध्यान रखा। पर वो भी चार साल पहले अप्रैल का ही महीना था, जिस दिन मेरा भाई मुझसे रूठ गया था। मुझसे क्या, वो पूरी दुनिया से ही रूठ गया था। मुझे नहीं याद कि जन्मदिन वाले दिन मैंने अपने भाई को हैप्पी बर्थ डे कहना एक बार भी भूला हो। जब तक भाई के साथ रहा, सबसे पहले मैं ही उसे हैप्पी बर्थ डे कहता था। वो खुश तो होता था, पर पूछता था कि जन्मदिन क्या होता है?
मैं उसे समझाता कि आज के दिन तुम्हारा जन्म हुआ था। आज के दिन ही तुम दुनिया में आए थे। आज के दिन ही मैं चप्पल को तालाब के पास भूल कर तुम्हें देखने के लिए दौड़ा हुआ घर आया था। तुम बहुत छोटे से थे। बहुत छोटे। इतने कि मैं भी तुम्हें गोद में उठा सकता था। आज के दिन ही तुम मां की छाती से पहली बार लगे थे। कोई और होता तो मैं बुरा मानता। मां के दूध में कोई और हिस्सेदार हो, ये मैं सह नहीं सकता था। पर तुम इतने प्यारे थे कि मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा था।
भाई हंसता। कहता कि भाई किसी का जन्म होता है क्या?
“हां, मेरा जन्म हुआ है। तुम्हारा जन्म हुआ है।”“नहीं भाई, किसी का जन्म नहीं होता। किसी का जन्म नहीं हुआ। न मेरा हुआ, न आपका हुआ।”“यार, अब फिलासिफी मत समझाओ। आज के दिन ही तुम्हारा जन्म हुआ था।”
“छोड़ो भाई, तुम उन बुज़ुर्गों की कहानी सुनाओ, जिनके बच्चों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। जिन्हे अल्जाइमर्स, पार्किंसन जैसी बीमारियों ने घेर लिया है और घर के लोग उनकी मेमोरी लॉस को गज़नी के आमिर खान तरह समझ कर मज़ाक उड़ाते हैं।”“मैं उनकी भी कहानी सुनाऊंगा। पर तुम ये सब कहना बंद करो कि किसी का जन्म नहीं होता है। तुम संसार में मेरे सबसे प्यारे हो। तुम ऐसी उदासी वालीं बातें मत किया करो।”
“ये उदासी की बातें नहीं भाई। सत्य यही है। सुनो, सत्य सुनो। #News