सब कुछ है नसीब़ में मग़र तेरा नाम ही नहीं दिन रात की तन्हाई में कोई आराम ही नहीं मैं चल पड़ा था घर से तेरी तलाश में आग़ाज़ तो किया मग़र कोई अन्ज़ाम ही नहीं मेरी ख़ताओ की सज़ा अब मौंत ही सही इसके सिवा दिल में कोई अरमान ही नहीं कहते हैं वों मेरी तरफ़ यूँ उंगली उठाकर शहर में मुझसे बड़ा कोई बदनाम ही नहीं 💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓 ....................................................................... 💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓 सब कुछ है #नसीब़ में ,, मग़र तेरा नाम ही नहीं दिन रात की #तन्हाई में ,, कोई #आराम ही नहीं