गर्जना जब शंख बजा, मैं गरज उठा। अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।। जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा। मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।। जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा। राग-राग हर हर बोल उठा।। लेखक-मानस राज सिंह #गर्जना जब शंख बजा, मैं गरज उठा। अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।। जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा। मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।। जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा।