वेदना में हूँ बहोत लेकिन,तुमसे कभी कहूंगी नही, इंतेज़ार सफर में हूँ मैं पर,तुमसे कभी लड़ूँगी नही। हाँ हिम्मतें बढ़ रही है मेरी,इन संयम से जरूर मगर, कितने झड़े सब्र मोंती अँखियों से,कभी जताऊँगी नही। तुम समझ जाना कि,क्या पिरो रही हूँ माला मैं, तुम्हारा आना ही सबकुछ,कहने से लजाऊंगी नही। अभी गम है आंगन मेरे ,विरहा अगन भी अधिक पर तुम आओ जब सामने,स्नेहिल आलिंगन से कतराऊंगी नही। #इंतेज़ार #तुम्हारा #मेरी #मनोदशा