बेशक़ नज़रे आम तालिम-ऐ-मुहब्बत , तुम्हारे दीदार में यूं की है । की दीदार को तरसे तुम्हारे , अब तो बेनकाब चेहरे मुश्किल है ।। बेअदब दिल बेईमान सावन की , बारिश में यूं भीगने लगा है । तुम वहाँ मैं यहाँ अब हमारी , बातों का सिलसिला बढ़ने लगा है ।। बेकरार है तेरी मेरी नज़रे , ये नकाब चेहरों को ढकने लगा है । क़लम की श्याही फिर से भरने लगी है , तुझे मेरी कमी खलने लगी है ।। बेक़सूर है तेरी हया की तस्वीर , दिन में कई दफ़ा इसे देखने लगा है । मौसम भी खुशनुमा सा नज़र आ रहा है , तेरा ईश्क़ और बढ़ता जा रहा है।। -🖋️मेरी_रूह_विj 21/july/2020 04:10pm #Love #Romantic #hundi #Poet #shyari #citysunset