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ये जो शीशा शीशा सा मेरा दिल है! आशियाना सा बन बैठा

ये जो शीशा शीशा सा मेरा दिल है!
आशियाना सा बन बैठा है...
रखते नहीं दर्मिया किसी को आज कल
कि ये टूटने को तैयार बैठा है..!!!
सालों से बंद है झरोखे इसके..,
कहीं कत्ल तो कहीं राख होकर बैठा है!!
जालों की जगह  कहीं कैद कुछ है,
तो दरारों की जगह सवाल कई हैं!
इक कमरा सा कई रोज़ से शमशान बन बैठा है!!

©Dipti chittoria #आशियाना #Poetryies 
#steps
ये जो शीशा शीशा सा मेरा दिल है!
आशियाना सा बन बैठा है...
रखते नहीं दर्मिया किसी को आज कल
कि ये टूटने को तैयार बैठा है..!!!
सालों से बंद है झरोखे इसके..,
कहीं कत्ल तो कहीं राख होकर बैठा है!!
जालों की जगह  कहीं कैद कुछ है,
तो दरारों की जगह सवाल कई हैं!
इक कमरा सा कई रोज़ से शमशान बन बैठा है!!

©Dipti chittoria #आशियाना #Poetryies 
#steps