Vote हुक्मरानों ने कहाँ जाना दर्द मेरा, जमाना बना दुश्मन, न था कोई हमदर्द मेरा, सूरत बदलती है इनकी मगर सीरत नही बदलती, सलवटें पड़ गई पेशानी पर, बना सरदर्द मेरा, रोटी, कपड़ा और मकान भी न जोड़ पाया उम्र भर, बस उम्र बढ़ी और बढ़ा कर्ज़ मेरा ।। "पेशानी पर- माथे पर" ©Chauhan Chirag #system #गरीब आदमी #लुटेरे नेता #voting Dr. Sonia shastri Shashank Tripathi NIHAR Ayesha Aarya Jyoti gupta dhyan mira