आजकल के इश्क़ में वह जुनूनियत कहां रही , एक ही की ज़िन्दगी में अहमियत कहां रही, आज यहां तो कल वहां , मोहब्बत में वह रूहानियत कहां रही , और चेहरे पर चेहरा है कि वह मासूमियत कहां रही, बदलता वक़्त था ज़माना बदल गया,और बदला इस क़दर कि इंसानियत ना रही, इस लहजे से झूठ बोले जाते हैं, कि ऐतबार हो जाता है, कि अब वह तरबियत ही कहां रही।। #इश्क़आजकल #इंसानियत #ऐतबार #लहजे #रूहानियत #तरबियत #बदलतावक़्त #बदलताज़माना #बदलताइश्क़ #बदलताइंसान