किसी उम्मीद की खातिर, किसी सपने सी हो हाज़िर, चली बांसों के पुल ऊपर, ढूंढती राहें फिरी शातिर, खनक सी खिल रही पागल, खुद से ही मिल रही पागल, बसायी खुद की नगरी में, खुदी को किल रही पागल, वही फिर मोड़ आया फिर, पागल थी आह बताया फिर, खुशी की एक किरन खातिर, आशियाना ही जलाया फिर, फूलों को रूठना ही था, गुलों को छूटना ही था , साथ था पुल भला कब तक ,, उसे भी टूटना ही था , नये फिर किरदार में, किस्सों के बाजार में, पगली इंतेज़ार में, लुटेगी फिर से प्यार में #Break_up_day #nojotohindi. #nojotolove #specialday #breakupday #quandA