कभी दर्द कभी दीवानगी के बहाने आए याद फिर आज गुजरे जमाने आए । तुम बेसाख्ता ही कुछ कह गए ये लफ्ज़ हमे यूं आइना दिखाने आए । गैर हो तो गैर बन के ही रहो ये अनकहे रिश्ते हमसे न निभाने आए । आज इधर है , कल उधर बहेगी हवा जाने किश्ती किस किनारे आए । बिखरें है आज , सम्हलेंगे भी कभी बहार भी आएगी जब पतझड़ पुराने आए । फकत सांसों तक ही नही सिमटेंगे हम रोएंगे वो भी जो न सुपुर्द ए खाक कराने आए । जो अभी है बस वही सच है बाकी कौन जाने वक्त क्या दिखाने आए । कागज़ की पट्टी अल्फाजों के मरहम शायरी तुझे जख्म सभी छिपाने आए ।। ~ सुगंध #sugandhamishra #sugandhpoetry #sugandh_ankahi #life #shayri #poem